महावीर स्वामी (540ई. - 468 ई.) |
जैन धर्म :-
- जैन शब्द "जिन"से बना है जिसका अर्थ होता है - विजेता
- जैन धर्म के सस्थापको को "तीर्थकर" कहा गया है।
- जैन महात्माओ को "निर्ग्रन्थ" कहा गया है।
- जैन धर्म के प्रथम तीर्थकर "ऋषभ देव"थे।इनके अन्य नाम आदिनाथ,वृषभनाथ भी है।
- ऋषभदेव की प्रीतिमा दिलवाड़ा जैनमंदिर (माउन्टआबू राजस्थान ) में स्थापित है।
- ऋषभदेव का सम्बन्ध अयोद्धा से मन जाता है।
- ऋषभदेव एवं अरिष्टिनेमि का उल्लेख ऋग्वेद में मिलता है।
- पाशर्वनाथ जैन धर्म के 23वें तीर्थकार मने जाते है। और इनका जन्म काशी में हुआ था।
- पाशर्वनाथ को सम्मेद पर्वत पर ज्ञान प्राप्त होने के कारण यह जैन सिद्ध क्षेत्र कहलाया।
- इनके पिता अस्वशेन काशी के राजा थे।
- पाशर्वनाथ ने अपने अनुयायियों को चतुर्याम शिक्षा का पालन करने को कहा था।
- ये चार शिक्षाए थी - सत्य, अहिंसा, अस्तेय एवं अपरिग्रह।
- जैन धर्म में 24 तीर्थकरो का उल्लेख मिलता है।
प्रमुख जैन धर्म एवं उनके प्रतीक चिन्ह :-
तीर्थकर ------ प्रतीक चिन्ह
1. ऋषभदेव /आदिनाथ --- बैल /वृषभ
2. अजितनाथ --- हाथी
3. संभवनाथ --- घोड़ा /अश्व
4. अभिनन्दन नाथ --- कपि /बन्दर /मरकट
5. सुमतिनाथ --- सारस /चक्रवा /क्रोंच
6. पद्मप्रभु --- कमल
7. सुपाशर्वनाथ --- साथिया /स्वास्तिक
19. मल्लिनाथ --- कलश
21. नमिनाथ --- नीलकमल
22. अरिष्टनेमि (नेमिनाथ ) --- शंख
23. पाशर्वनाथ --- सर्प
24. महावीर स्वामी --- सिंह
महावीर स्वामी का जीवन परिचय :-
- जन्म --- 599 /540 ई. पू.
- स्थान --- कुण्डग्राम के वैशाली, के निकट बिहार
- पिता --- सिद्धार्थ
- माता --- त्रिशला
- बचपन का नाम --- वर्द्धमान
- पत्नी --- यशोदा
- पुत्री --- प्रियदर्शनी /अणोज्जा
- दमाद --- जामालि
- गृहत्याग --- 30 वर्ष की आयु में बड़े भाई "नन्दिवर्द्धन"की आज्ञा से।
- ज्ञान प्राप्ति --- 12 वर्ष की तपस्या के बाद (42 वर्ष की अवस्था में )
- ज्ञान प्राप्ति स्थल --- जृंभिक ग्राम में "ऋजुपालिका नदी" के तट पर।
- ज्ञान प्रप्ति को कैवल्य कहा गया।
- वृक्ष --- शाल वृक्ष के निचे।
- प्रथम शिष्य --- जामालि (दामाद )
- शिष्य --- मखलि पुत्र गोशाल (आजीवक संप्रदाय के संस्थापक )
- प्रमुख उपदेश --- राजगृह में वितुलाचल पहाड़ी पर "वाराकर नदी" के तट पर।
- प्रमुख उपाधि --- केवलिन (सर्वोच्च ज्ञान प्राप्ति व्यक्ति ),जिन (विजेता ),निर्ग्रन्थ वर्द्धमान, अर्हत् (पूज्य )
- मृत्यु --- पावापुरी (राजगृह ) बिहार में 527/468 ई.में (72 वर्ष की आयु में सस्तिपाल के यहाँ )
जैन धर्म की शिक्षाये :-
1. त्रिरत्न - सम्यक ज्ञान, सम्यक दर्शन, सम्यक चरित्र
2. पंचमहाव्रत या अणुव्रत - अहिंसा, सत्य, अपरिगृह, अस्तेय, ब्रह्मचर्य
Note -पांचवा अणुव्रत (ब्रह्मचर्य ) महावीर स्वामी के द्वारा जोड़ा गया।
3. कायक्लेश /संलेखन पद्धति - चन्द्रगुप्त मौर्य ने संलेखन पद्धति द्वारा अपना प्राणत्याग किया।
-इस प्रथा को संथारा प्रथा के नाम से जाना जाता है।
4. स्यादवाद /अनेकान्तवाद /सप्तभंगीनय - इसे ज्ञान की सापेक्षता सिद्धांत कहते है।
जैन संगीतिया :-
प्रथम जैन संगतिया - 300 ई.पू.
अध्यक्ष - स्थलबाहु /स्थूलभद्र
स्थान - पाटलिपुत्र (बिहार )
उद्देश्य - जैन भिक्षुओं के बीच विवाद का हल
-इस संगीति के दौरान जैन धर्म 2 सम्प्रदायों में विभाजित हो गया।
1. दिगम्बर (भद्रबाहु ने नेतृत्व किया )(कट्टर )
:-नग्न रहने वाले संप्रदाय के लोगो को दिगम्बर कहते थे।
:-इस के अनुसार ,स्त्री के लिए मोक्ष प्राप्ति संभव नहीं था।
:-इस के अनुसार , महावीर स्वामी अविवाहित थे। और मल्लिनाथ पुरुष थे।
2. श्वेताम्बर (श्थूलभद्र ने नेतृत्व किया ) (उदार)
:-इस संप्रदाय के लोग श्वेतवस्त्र धारण करते थे।
:-इस के अनुसार , स्त्री मोक्ष प्राप्ति संभव था।
:- इस के अनुसार , महावीर विवाहित थे। और मल्लिनाथ स्त्री थे।
-इस संगीति में महावीर के उपदेशो को 12 अंगो में संकलित किया गया है।
द्वितीय जैन संगीतिया -512 ई.पू.
स्थान - बल्लभि (गुजरात )
अध्क्षय - देवार्धि क्षमाश्रमण (श्वेताम्बर आचार्य )
- 12 अंगो का पुर्नसंकलन किया गया है। इन 12 अंगो में प्रमुख है -
1. आचारांग सूत्र -जैन भिक्षुओ से संबधित नियम कानून
2. भगवती सूत्र - सोलह महाजनपदों का उल्लेख है। भगवती सूत्र महावीर की जीवनी है।
जैन को संरक्षण देने वाले शासक :-
1. चन्द्रगुप्त मौर्य
2. सम्प्रति (अशोक का पौत्र )
3. खारवेल (कलिंग शासक )
4. कुमार पाल (चालुक्य /सोलंकी शासक -गुजरात )
जैन कला एवं स्थापत्य:-
1. दिलवाड़ा जैन मंदिर (माउंटआबू , राजस्थान ):-
- इस मंदिर का निर्माण कुमारपाल के मंत्री विमल ने करवाया था।
-इस मंदिर में आदिनाथ की प्रतिमा स्थापित की गई है।
2. बाहुबली की प्रतिमा :-
- ये जैन धर्म के पहले तीर्थकर ऋषभ के पुत्र थे।
स्थान - श्रवणबेलगोला (कर्नाटक )
-इन्हे "गोमतेश्वर" भी कहा जाता है।
-इस मूर्ति का निर्माण गंगवंश के शासक राछमल के मंत्री "चामुण्डराय" ने करवाया था।
जैन धर्म से सम्बंधित गुफाये :-
1. उदयगिरि - खंडगिरि (उड़ीसा )
2. एलोरा -(महाराष्ट्र )
Note :-
- जैन धर्म में प्राकृत भाषा को मान्यता प्रदान की गयी।
- महावीर ने जाति प्रथा का विरोध किया था।
- जैन धर्म भारत में वैदिक धर्म के पश्चात् दूसरा प्राचीनतम धर्म है।
- महावीर के अनुसार एक स्त्री ही निर्वाण प्राप्त कर सकती है।
- खारवेल (ओडिशा में ) से सम्बंधित जानकारी हाथीगुफा अभिलेख से प्राप्त होता है।
- महावीर के खिलाफ विद्रोह करने वाला पहला व्यक्ति जामालि था।
- महावीर ने अपने जीवन काल में 11 शिष्यों का समूह बनाया जिन्हे गणधर कहा गया।
- आर्यसुधर्मण एक मात्र गणधर थे जो महावीर की मृत्यु के बाद जीवित रहे और जैन संघ प्रथम अध्यक्ष बने (44 वर्ष तक )
- भद्रबाहु छठे थेर थे जो चन्द्रगुप्त मौर्य के समकालीन थे।
- महावीर व पाशर्वनाथ दोनों ने जैन धर्म में महिलाओ के प्रवेश अनुमति दी।
- सभी प्राम्भिक जैन साहित्य प्राकृत की शाखा अर्ध-मागधी में लिखा गया है।
- आचारांगसूत्र , सूत्रकृतांग और बृहत्कल्पसूत्र आरम्भिक जैन साहित्य के भाग है।
- समाधि मरण या संथारा जैन दर्शन से सम्बंधित है।
- महामस्तकाभिषेक जैन धर्म का महत्वपूर्ण उत्सव है। (कर्नाटक ,श्रवणबेलगोला )
2 Comments
शत्रुंजय मंदिर, को दुनिया के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से कई पुरातत्वविदों और धार्मिक वास्तुकला के विद्वानों द्वारा माना जाता है। अलंकृत ढंग से और त्रुटिहीन रूप से बनाए गए मंदिरों के भीतर चौबीस तीर्थंकरों की कई सैकड़ों मूर्तिकला संगमरमर की मूर्तियां मिली हैं।
जवाब देंहटाएंThanks for comment
हटाएंएक टिप्पणी भेजें