हेलो दोस्तों (Hello Friend) हिस्ट्री बाय अभी (History By Abhi) में एक बार फिर से आप सभी का हार्दिक स्वागत है.

हमारे आधुनिक दुनिया ने लगभग हर क्षेत्र में बेहद तेज गति से उन्नति की है इतने की जिसका कुछ सालों पहले तक अंदाजा भी नहीं लगाया जा सकता था लेकिन इतनी प्रचुर एडवांसमेंट और प्रगति के बावजूद आज भी बहुत ही ऐसी चीजें हैं ऐसे बहुत से फिनोमिना है जिसके बारे में हम नहीं जानते हमारी आज की स्टोरी भी एक ऐसी ही घटना के बारे में है जो आज के साइंस और साइंस दानों के समझ से परे है .


एक ऐसा इंसान जो 24 दिनों तक बिना खाये पिये जिंदा रहा

 यह कहानी है जापान के एक व्यक्ति  मिस्रो टाकाउची कोसी की उनके दोस्तों के साथ एक टूर के दौरान घटित हुई एक वाक्य की एक वाक्य जो आज के मेडिकल साइंस के लिए किसी अजूबे से कम नहीं यह एक ऐसी घटना थी जिसकी वजह से अगर आज के वैज्ञानिकों को ठीक से पता लग जाए तो आज के वैज्ञानिक और मेडिकल साइंस इतनी तेजी से आगे बढ़ने लगेगी जितने कि पहले कभी नहीं बढ़ी थी.


 7 अक्टूबर 2006 को एक जापानी व्यक्ति  मिस्रो टाकाउची कोसी अपने कुछ दोस्तों के साथ जापान में प्रसिद्ध ट्यूरिस्ट माउंट रोक्को (Mount Rokko)  की यात्रा करने का फैसला किया.  माउंट रोक्को (Mount Rokko) से मिलने वाले बेहतरीन नज़ारे और मजेदार खाने का जमकर लुफ्त उठाने के बाद सभी दोस्तों ने वापस नीचे जाने का फेसला किया. सभी लोग केबल कार के माध्यम से  माउंट रोक्को (Mount Rokko) से नीचे जाने के लिए तैयार थे. लेकिन 35 वर्षीय मिस्रो टाकाउची कोसी ने केबल कार के बजाय पैदल यात्रा करके नीचे जाने का फैसला किया. उन्हें नही पता था कि उनका यह फैसला उनकी पूरी जिंदगी पर गहरा असर छोड़ कर जाने वाला था. वह बाकी दोस्तों को अलविदा कह कर पैदल ही नीचे की ओर बढ़ने लगे लेकिन कुछ ही घंटों बाद मिस्रो टाकाउची कोसी को यह मालूम चल गया कि वह नीचे जाने के रास्ते से भटक चुके हैं. आमतौर पर जब भी कोई जंगल में खो जाता है तो ऐसी स्थिति से निकलने का सबसे बेहतर तरीका यही होता है कि वह कोई नदी खोजे और उसके बहाव की दिशा में आगे बढ़े इससे आगे किसी बड़ी नदी या बस्ती के मिलने की संभावना बहुत ज्यादा बढ़ जाती है. मिस्रो टाकाउची कोसी मिस्रो को भी यही विधि पता थी. और उन्होंने भी ऐसा ही करने का फैसला किया वे वहां मौजूद नदी के बहाव की दिशा में आगे बढ़ने लगे लेकिन कुछ ही दूर चलने के बाद उनका पांव फिसला और वह एक पत्थर पर जा गिरे जिससे उनके कूल्हे की हड्डी टूट गई लेकिन हिम्मती मिस्रो टाकाउची कोसी चोट के बावजूद उस बेहद सर्द रात में भी आगे बढ़ते रहे उनके पास बस थोड़ा सा पानी और एक बर्विकिसोस का पैकेट ही था. इस थोड़े से सामान के साथ मिस्रो टाकाउची कोसी ने अगले दिन भी अपनी यात्रा को कायम रखा लेकिन सुबह की धूप खिलने के बाद अचानक मिस्रो टाकाउची कोसी को नींद आने लगी और फिर एक खुले मैदान तक पहुंच कर वे वही गिर पड़े और फिर सो गये एक लम्बी नींद 10 या 12 घंटे के लिए नहीं 24 घंटे के लिए नहीं बल्कि पूरे 24 दिनों के लिए जी हा आपने बिल्कुल ठीक सुना 8 अक्टूबर की उस दोपहर के बाद जब मिस्रो टाकाउची कोसी की आंख खुली तो वह हॉस्पिटल में थे और दिन था 1 नवंबर 2006 दरअसल 31 अक्टूबर के दिन एक हय्कर की नजर मिस्रो टाकाउची कोसी पर पड़ी. उनकी बॉडी लगभग मर्त्यु मालूम पड़ रही थी लेकिन उनकी धड़कन अभी भी चल रही थी उनके शरीर का तापमान 22 डिग्री सेल्सियस तक गिर चुका था और उनके इंटरनल ऑर्गन काम करना लगभग बंद कर चुके थे.


 लेकिन इसके बावजूद मिस्रो टाकाउची कोसी जीवित थे और यह देखकर अस्पताल के सभी डॉक्टर हैरान थे. वह पिछले 24 दिनों से घायल अवस्था में बिना कुछ खाए पिए बरसात तेज धूप और सर्द रातों के बीच निद्रा की अवस्था में थे इसके बावजूद उनकी सांसे चल रही थी और उनका दिल अब भी धड़क रहा था. इस घटना को समझाते वक्त डॉक्टर ने बताया कि मिस्रो टाकाउची कोसी के कॉन्शसनेस होने के बाद भी उनकी सर्वाइवल इंस्टिंक्ट जागृति जो कि उनके शरीर को मरने से बचा रही थी. दरअसल मिस्रो टाकाउची कोसी की बॉडी हाइबरनेशन स्टेट में चली गई थी. हाइबरनेशन एक ऐसी स्थिति है जिसमें शरीर का मेटाबोलिज्म बहुत स्लो हो जाता है और शरीर को जीवित रखने के लिए बेहद कम एनर्जी की जरूरत पड़ती है.


 ऐसा अक्सर पोलर बियर्स और हेज होक्स करते हैं. जब उनके अनुकूल मौसम नहीं होता तो वह हाइबरनेशन स्टेट में चले जाते हैं और फिर एक लंबी नींद के बाद जागते हैं. लेकिन इंसानों में ऐसा पहली मर्तबा देखा गया था मिस्रो टाकाउची कोसी की बॉडी का हाइबरनेशन स्टेट में चले जाना वाकई एक अनोखी बात थी. इसी हाइबरनेशन स्थित में होने की वजह से मिस्रो टाकाउची कोसी बिना खाये पिये 24 दिनों तक जीवित रह पाए. लगभग 2 महीने हॉस्पिटल में डॉक्टर की देख रेख में रहने के बाद  मिस्रो टाकाउची कोसी फिर से एक आम आदमी की जिंदगी जीने लगे लेकिन इस केस को स्टडी करने वाले डॉक्टर आज भी कंफ्यूज है कि आखिर ऐसा कैसे हुआ और मेडिकल साइंस की एक बड़ी टीम आज भी उस तरीके की खोज कर रही है जिसकी मदद से इंसानी शरीर हाइबरनेशन स्टेट की स्थिति में डाला जा सके यदि ऐसा कभी मुमकिन हो सका तो यह आधुनिक मेडिकल साइंस के लिए एक बहुत बड़ी मील का पत्थर साबित हो सकता है क्यों की ऐसा कभी हो पाया तो इंसानों को स्पेस में भेज पाना और भी ज्यादा आसान हो जाएगा. आपने कई मूवी में देखा होगा स्पेस में यात्रा करने वाले लोगों को इन विशेष कैप्सूल्स में लंबे वक्त के लिए सुला दिया जाता है और एक समय पर उन्हें फिर से उठा दिया जाता है. लेकिन यदि हम सच में हाइबरनेशन में जाना सीख जाए तो मूवीस कि यह परिकल्पना भी सच हो जाएगी. और स्पेस ट्रेवल पर जाने वाले स्नोड्स को सालों का खाना ले जाकर जाने की जरूरत नहीं पड़ेगी और किसी मेडिकल एमरजेंसी के बावजूद अब मरीज की बॉडी को हाइबरनेट करके डॉक्टर्स के लिए इतना टाइम अर्जित कर लेंगे जिसमें उस मरीज का इलाज हो सके.  मेटाबोलिज्म को स्लो करके इंसानों को ज्यादा अभी तक जीवित रखा जा सकेगा. 


मान लिजिय किसी अस्पताल में किसी मरीज को किडनी ट्रांसप्लांट कराने की जरूरत है लेकिन फिलहाल उसे कोई डोनर नहीं मिल रहा. तो ऐसे मरीज को लम्बे समय के लिए  हाइबरनेशन में डाला जा सकेगा तब तक के लिए जब तक उसके लिए कोई किडनी डोनर नही मिल जाता. यदि हमरा साइंस किसी दिन ऐसा करने में सक्षम हुआ तो निः संदेह यह एक बहुत बड़ी कामयाबी होगी और इसकी मदद से करोंडो जाने बचाई जा सकेगी. फ़िलहाल इंसानी हाइबरनेशन भले ही दूर की कौड़ी लगती हो लेकिन मिस्रो टाका के साथ घटित हुई इस घटना ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि आज हम इंसानी शरीर की सारी एबिलिटीज को नहीं जान सके हैं और आज भी हमारे अंदर ही ऐसे बहुत से सवाल हैं जिनका जवाब हमें नहीं पता है. 


मिस्रो टाका के साथ जो भी कुछ हुआ उसके बारे में आपकी क्या राय है क्या मिस्रो टाका के हाइबरनेशन स्टेट में जाने की गुत्थी को सुलझाया जा सकता है यदि आप भी कभी हाइबरनेशन स्थित में जा पाए तो आप कितने समय के बाद उठना पसंद करेंगे आप अपनी राय हमारे साथ कमेंट के माध्यम से जरूर शेयर करें आज के इस आर्टिकल में बस इतना ही.