आज हम महावीर स्वामी के जीवन के 10 महत्वपूर्ण तथ्य (point) के बारे में जानेंगे जो आपको भी नही पता होंगे, अगर आपको ये तथ्य पहले से पता थे तो comment में जरूर बताएं।

Mahavira Swami ke 10 important points :-

1. महावीर(mahavira) का प्रथम शिष्य जमालि महावीर का दामाद था। -

भगवान महावीर का जन्म 599 ईशा पूर्व में हुआ था इनकी पत्नी का नाम यसोदा था । इस point में खास बात यह है कि महावीर की जो पुत्री थी जिसका का विवाह जमालि नाम के क्षत्रिय से हुआ था । वही जमालि शादी के बाद महावीर का अनुयायी बना , जो महावीर का प्रथम शिष्य कहलाया।


2. महावीर स्वामी (mahavira swami) जैन धर्म (jain dharm) के 24वें तीर्थंकर थे जिन्होंने छठीं शताब्दी ईसा पूर्व के जैन आंदोलन का प्रवर्तन किया।( Note :- जैन धर्म के संस्थापक या प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव या आदिनाथ माने जाते है)


3. महावीर स्वामी का बचपन का नाम वर्धमान था। और महावीर के अन्य नाम - वीर, अतिवीर, सज्जस (श्रेयांश), जसस (यशस्वी) और सन्मति है।


4. भगवान महावीर स्वामी ज्ञातृ वंश के थे । इनका गोत्र कश्यप था । महावीर स्वामी का एक भाई और एक बहन थी भाई का नाम नंदिवर्धन और बहन का नाम सुदर्शन था । महावीर स्वामी को 8 वर्ष में शिल्प शाला में भेजा गया ताकि वहाँ महावीर जी धनुष विद्या और शिक्षा ग्रहण कर सके।


5. महावीर स्वामी जब 28 वर्ष के थे तभी उनके माता - पिता का देहांत हो गया था । तभी महावीर के बड़े भाई के कहने पर महावीर स्वामी 2 वर्ष तक घर पर ही रुके थे । उसके बाद स्वामी जी 30 वर्ष की उम्र में समण बन गए । उसके बाद महावीर स्वामी ने अपना अधिकांश का समय ध्यान लगने में ही निकाल दिया करते थे। और धीरे - धीरे महावीर ने पूर्ण आत्मसाधना प्राप्त कर ली।

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6. महावीर ने 12 साल तक कठोर तपस्या की और इस तपस्या और साधना से महावीर को जृम्भिक गांव के समीप ऋजुपालिक नदी के तट पर एक साल वृक्ष के नीचे कैवल्य (पूर्ण ज्ञान) प्राप्त हुआ था। भगवान महावीर स्वामी इस ज्ञान से लोगो के बीच जनकल्याण के लिए उपदेश देने लगे । स्वामी जी अर्धमागधी भाषा मे उपदेश देते थे ।


7. भगवान महावीर स्वामी अपने उपदेश में अहिंशा, सत्य, अस्तेय, ब्रम्हाचार्य और अपरिग्रह पर ज्यादा बात करते थे । इन्ही बातो को लेकर लोगो के बीच स्वामी जी अपना उपदेश देते थे।


8. महावीर स्वामी ने निर्वाण (मृत्यु) 72 वर्ष की अवस्था में 527 ईशा पूर्व में बिहार (पावापुरी) में कार्तिक (आश्विन) कृष्ण अमावस्या को प्राप्त किया , इसी निर्वाण दिवस पर घर-घर दीपक जला कर दिवाली मनाते है ।


9. भगवान महावीर का आदर्श वाक्य :- 


मिट्टी में सव्व भुएसु ।

सब प्राणियों से मेरी मैत्री है।


10. महावीर स्वामी ने जैन धर्म के 24 वें तीर्थकर थे । इन्होंने वेदों की अपोरुषेयता को स्वीकार करने से मना कर दिया था  और धार्मिक - सामाजिक रूढ़ियों एवं पाखंडो का विरोध किया था । उन्हों ने आत्मवादियों तथा नास्तिक के एकांतिक मतो को छोड़ कर बीच का मार्ग अपनाया जिसे अनेकान्तवाद अथवा स्यादवाद ( स्यादवाद को सप्तभंगी के नाम से भी जाना जाता है )कहा गया । 


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