जहाँगीर | Jahangir :- 


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जहाँगीर 


जहांगीर को युवावस्था में अवध और बंगाल का सूबेदार नियुक्त किया गया। सन 1605 ई में अकबर की मृत्यु के बाद  जहांगीर बादशाह हुआ। अकबर की भांति वह भी धार्मिक और सामाजिक सुधारों में रुचि रखता था।
वह साहित्य में रुचि सकता था तथा अध्यन में भी उसके गहरी रुचि थी उसने अपना संस्मरण तुजुक-ए- जहांगीरी स्वयं लिखा।
 इन्हें चित्रकला का अच्छा ज्ञान था तथा अपने दरबार के श्रेष्ठ चित्रकारो पर गर्व भी था। सन  1611  में जहांगीर ने नूरजहां से विवाह किया। वह एक सुंदर और बुद्धिमान स्त्री थी।

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नूरजहाँ गुट :-



अपने विवाह के कुछ ही वर्षों पश्चात नूरजहां ने अपना दल बना लिया था जिसे नूरजहां गुट या जंतागुट (junta group)के नाम से पुकारा गया। इस गुट में नूरजहां उसके पिता एतम और माता अस्मत बेगम ,उसका भाई आसफ खा शहजादा खुर्रम शामिल थे। इस दल का प्रभुत्व 1622 ई तक  स्थापित रहा।
जहांगीर बहुत समय तक बीमार रहा। इस बीच में नूरजहां ने ही उसके कार्य को संभाला और सामाज्य का  प्रबंध चलाया ।प्रत्येक महत्वपूर्ण कार्य में जहांगीर उसकी राय लिया करता था।

वह इतनी शक्तिशाली हो गई कि राज्य के सिक्कों में जहांगीर से नाम के साथ उनका नाम लिखा जाने लगा।

जहांगीर ने सिक्खो के 5वे गुरु गुरु अर्जुन देव को, शहजादे खुसरो की सहायता करने के कारण फाँसी दे दी थी।

जहांगीर ने बंगाल पर मुगलों के अधिकार को प्रभावशाली बनाया। अकबर का मेवाड़ के महाराणा से आरंभ में जो संघर्ष हुआ था ,उसको समाप्त कर दिया गया।

 जहांगीर ने राजपूतों के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित करने की अपने पिता की नीति जारी रखी।
सर्वप्रथम 1608 ई में कैप्टन विलियम हाकिन्स इंग्लैंड के राजा जेम्स प्रथम के दूत के रूप में सम्राट अकबर के नाम पत्र लेकर बादशाह जहांगीर के दरबार में उपस्थित हुआ। हाकिन्स तुर्की एवं फारसी भाषा का जानकार था।

जहांगीर ने 1612 ई में अपने राज्यभिषेक के सातवें वर्ष में प्रथम बार रक्षा बंधन का त्यौहार मनाया तथा अपनी कलाई पर राखी बंधवायी। जहांगीर इसे निगाह-ए-दश्त कहता था।