शाहजहां (Shahjaha) :-


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शाहजहाँ 


शाहजहां (Shahjaha) अपने पिता की मृत्यु के बाद सन 1628 में गद्दी पर बैठा। इसके बचपन का नाम खुर्रम था। यह जगत गोसाई (जोधाबाई का पुत्र था)

इसका विवाह नूरजहां के भाई आसफ खा की पुत्री अर्जुमन्दबानो बेगम से हुआ,जो मुमताज़ महल के नाम से प्रसिद्ध हुई।

शाहजहां ने दिल्ली के निकट शाहजहांनाबाद नगर की स्थापना की तथा अपनी राजधानी आगरा से दिल्ली
स्थानांतरित कर दी। इसे आजकल पुरानी दिल्ली के नाम से जाना जाता है इसी में उसने सुरक्षा दुर्ग का निर्माण कराया ,जिसे लाल किला या किला -ए- मुबारक के नाम से जाना जाता है।

उसने इसी किले में दीवान- ए -आम व दिवान- ए - खास का निर्माण करवाया। तख्ते ताऊस रत्नों से जडा हुआ सोने का सिंहासन था ,जिस पर शाहजहां बैठता था।
अपने शासनकाल में सबसे पहले उसको बुंदेलखंड और दक्षिण के विद्रोहो का सामना करना पड़ा।


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दक्षिण मुगलों के लिए कठिनाइयों का क्षेत्र बन गया। मुगलों ने अंत में अहमदनगर के राज्य को जीत लिया तथा गोलकुंडा व बीजापुर के राज्यों ने मुगलों का अधिपत्य स्वीकार कर लिया और उसके साथ शांति बनाए रखने के लिए संधि कर ली।

शाहजहां ने अपने पुत्र शहजादा औरंगजेब को दक्षिण का सूबेदार बनाया । दक्षिण की समस्याओं को हल कर लेने के बाद शाहजहां का ध्यान उत्तर पश्चिम की ओर आकर्षित हुआ।

उसने उत्तर पश्चिम सीमा को सूचित करने के लिए मध्य एशिया के बल्ख और बदख्शां में अपनी सेनायें भेजी।

शाहजहां ने इरान के बादशाह से कंधार को पुनः जीत लिया था, पर वह फिर उसके हाथ से निकल गया। उसने फिर 3 बार उस नगर पर अधिकार करने का प्रयत्न किया पर प्रत्येक बार वह असफल रहा।

पुर्तगाली लोग हुगली को केंद्र बना कर बंगाल की खाड़ी में  समुद्री डकैती करते थे। मुगल सेनाओं ने उनको हुगली से बाहर निकाल दिया ।

1657 ईस्वी में शाहजहां बीमार पड़ा तथा उसके चारों पुत्र सिंहासन प्राप्त करने के लिए परस्पर युद्ध करने लगे इस युद्ध में औरंगजेब की विजय हुई। उसने अपने पिता को आगरा के किले में कैद कर दिया। इस क़िले से शाहजहां ताजमहल को देख सकता था तथा अपनी पत्नी मुमताजमहल को याद कर सकता था।

शाहजहां के पुत्र दारा शिकोह, शूजा, औरंगजेब व मुराद थे। दाराशिकोह एक विद्वान व्यक्ति था।
उसने उपनिषदो का फ़ारसी में अनुवाद किया।

दारा ने स्वयं अपनी देख-रेख में संस्कृत ग्रंथ भगवतगीता और वशिष्ठ उपनिषद का फारसी में अनुवाद कराया।

शाहजहां के काल में सुंदरदास, चिंतामणि तथा कविन्द्राचार्य हिंदी के महान विद्वान व कवि थे। संस्कृति का एक महान कवि जगन्नाथ था। जिसे शाहजहां ने महाकवि राय की उपाधि प्रदान की थी।